शिक्षा का महत्व 


Shiksha Ka Mahatva | Bhumika

इस लेख में हम शिक्षा के महत्व और शिक्षा की भूमिका के बारे में जानेंगे।

शिक्षा का महत्व सदियों पहले भी था और आज भी है और भविष्य में भी रहेगा यह आदिकाल में भी महत्वपूर्ण था, आधुनिक युग में भी बहुत महत्वपूर्ण है और युगों–युगों तक रहेगा।


सूक्ष्म शिक्षण क्या है?


यह मानव जीवन को प्रभावित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। इन कारकों में शिक्षा को सबसे ऊपर रखा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। शिक्षा का महत्व मानव के अस्तित्व में आने के बाद से हर काल में अलग-अलग संदर्भो में रहा है। शिक्षा के महत्व को जानने के लिए मानव जीवन के कुछ खास यथा मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य को समझना होगा।


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शिक्षा की भूमिका


शिक्षा मनोविज्ञान


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आईये इन परिप्रेक्ष्यों को समझते हैं…


मानसिक- मानव के समुचित विकास के लिए स्वस्थ मानसिकता का विकास अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। शिक्षा से ही स्वस्थ मानसिकता विकसित होती है जो हमारे जीवन को समायोजित तथा सुनियोजित करती है। इसी से हमारे सफल होने का मार्ग प्रशस्त होता है।


शारीरिक- शिक्षा का महत्व हमारे शरीर को विकसित करने में भी है, एक शिक्षित व्यक्ति अपने स्वास्थ्य की अच्छी तरह देख-रेख कर सकता है। शिक्षा से ही पता चलता है की शरीर को स्वस्थ रखने के लिए क्या करना चाहिए। अपने शरीर को साफ-सुथरा कैसे रखा जाए। हमें अपना, अपने परिवार और अपने समाज के स्वास्थ्य के प्रति भी जिम्मेदारी निभाने में शिक्षा ही सक्षम बनाती है।


सामाजिक- शिक्षा से ही एक सभ्य और सुसंस्कृत समाज का निर्माण होता है। जब लोग शिक्षित होते हैं समाज में शिष्टाचार का जन्म होता है, लोगों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ती है। लोग अपने समाज के सभी कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को समझने लगते हैं। इस प्रकार एक स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। समाज में शिक्षा का स्तर जितना अधिक होता है उतना ही अच्छा समाज बनता है। शिक्षा से समाज में सद्भावना, प्रेम और भाई-चारे की स्थापना होती है। शिक्षित समाज राष्ट्र को महान बनाने में अहम योगदान देता है।


आर्थिक- आज के भौतिक युग में किसी राष्ट्र को मजबूत बनाने में वहाँ की अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा योगदान होता है। जिस राष्ट्र की अधिकांश आबादी शिक्षित होती है और शिक्षा का स्तर उच्च होता है वह राष्ट्र आर्थिक रूप से उतना ही मजबूत होता है। आधुनिक युग में आर्थिक स्थिति को ही सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। शिक्षा का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह रोजगार उत्पन्न करता है और लोगों को आर्थिक क्रिया करने के लायक बनाता है, जिससे राष्ट्र की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। उदाहरण के लिए हम अमेरिका, UK आदि को देख सकते हैं इन देशों में शिक्षा का स्तर उच्चतम है और आर्थिक रूप से भी बहुत मजबूत हैं।


राजनीतिक- राजनीति एक ऐसा घटक है जो किसी राष्ट्र के प्रत्येक पहलू को चाहे सामाजिक, आर्थिक या आध्यात्मिक हो, सभी को प्रभावित करता है। हमारे राजनेताओं के द्वारा ही कानून सम्मत नीतियाँ बनायी जाती हैं, इस स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि ये सभी नीति निर्माता शिक्षित हों। राजनीतिज्ञ जितना अधिक शिक्षित होंगे उस राष्ट्र का वर्तमान और भविष्य उतना ही सुरक्षित होगा। राष्ट्र की एकता, अखण्डता और समरसता कायम रखने में शिक्षा का महत्व बढ़ जाता है।


आध्यात्मिक-  शिक्षा के द्वारा मनुष्य में अपनी आत्मा पर विश्वास उत्पन्न होता है। आध्यात्मिकता के अनुभूति के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे शिक्षा से ही प्राप्त किया जा सकता है। इसी से आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। शिक्षाशास्त्री एवं दार्शनिक टैगोर के अनुसार- "नैतिक तथा आध्यात्मिक विकास शिक्षा का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है"।


इस प्रकार शिक्षा का महत्व प्रत्येक परिप्रेक्ष्य में है, लेकिन सबसे ज्यादा महत्व इस आधुनिक युग के प्रतिस्पर्धी दुनिया में है। इस प्रतिस्पर्धी दुनिया में जीवनयापन करने के लिए लोगों को एक अच्छी शिक्षा की आवश्यकता है। आधुनिक समाज उन लोगों पर आधारित है जिनका जीवन स्तर और ज्ञान स्तर उच्च है जो उन्हें अपनी समस्याओं के बेहतर समाधान निकालने की योग्यता रखते हैं।


शिक्षा का उद्देश्य


'शिक्षा का महत्व' जानने के बाद अब हम शिक्षा की भूमिका के बारे में जानेंगे।


शिक्षा की भूमिका

(Shiksha ki bhumika)


Shiksha Ka Mahatva | Bhumika



शिक्षा की भूमिका मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में है, लेकिन यहाँ कुछ खास क्षेत्रों में शिक्षा की भूमिका के बारे में जानते हैं:


1. गरीबी उन्मूलन


शिक्षा गरीबी उन्मूलन में एक साधन के रूप में काम करती है, यह लोगों को रोजगार प्राप्त करने के लायक बनाती है। यह समाज के हरेक व्यक्ति के लिए रोजगार का दरवाजा खोलती है। इस तरह लोग रोजगार पाकर अपने परिवार की सभी बुनियादी जरूरतों और आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।


2. वाणिज्य और व्यापार


एक अच्छी शिक्षा का अर्थ केवल स्कूल या कॉलेज जाना और डिग्री हासिल करना नहीं है। यदि किसी देश के नागरिक शिक्षित होंगे, तो देश का व्यापार और वाणिज्य भी आसानी से विकसित होगा। शिक्षा से रोजगार के नये-नये अवसर प्राप्त होंगे। शिक्षा कठिन कार्यों को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर बनने और उनमें आत्मविश्वास जगाने में मदद करती है।


3. अपराध के खिलाफ सुरक्षा और संरक्षण


जो अच्छी तरह से शिक्षित है, किसी के द्वारा आसानी से मूर्ख नहीं बनाया जाएगा। एक शिक्षित व्यक्ति के अपराध की दुनिया या घरेलू हिंसा और अन्य सामाजिक बुराइयों में संलिप्त होने की संभावना कम है। वे जीवन में आपराधिक गतिविधियों का बहिष्कार करेगा। शिक्षित लोग सही और गलत के प्रति संवेदनशील होते हैं, सही निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। इसका मतलब है कि शिक्षित लोगों के धोखा खाने या हिंसा का शिकार होने की संभावना कम है।


4. कानून और व्यवस्था


यदि आपके पास अच्छी शिक्षा है, तो आप अपने देश की अच्छी सेवा कर सकते हैं। शिक्षित लोगों के सहयोग से कानून व्यवस्था को दुरूस्त रखा जा सकता है। यह एक अच्छी राजनीतिक विचारधारा विकसित करता है।


5. महिला सशक्तीकरण


शिक्षा महिलाओं को सशक्त बनाने में भी मदद करती है। शिक्षा के द्वारा ही महिलाओं को समाज में उचित स्थान और प्रतिनिधित्व मिल सकता है। विधवा पुनर्विवाह, सतीप्रथा, बाल विवाह, दहेज आदि जैसे कुछ पुराने रीति-रिवाजों को शिक्षा की शक्ति द्वारा नष्ट किया जा सका या कम किया जा सका। शिक्षित महिलाएं अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकती हैं। वे अपने सभी अधिकारों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को समझ सकती है। इससे समाज के साथ-साथ राष्ट्र का भी बहुत विकास होगा। संक्षेप में, सभी महिलाओं को शिक्षित होने पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकार का सही तरीके से उपयोग किया जा सकता है।


6. समाज के कमजोर वर्ग का उत्थान


दुनिया को बदलने के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण घटक है। शिक्षा की कमी के कारण, कई अशिक्षित लोग समाज में व्याप्त भेदभाव, छुआछूत, जातियता और अन्याय का खामियाजा भुगतते हैं। अगर लोग शिक्षित होंगे तो इन सभी सामाजिक बुराइयों का अंत करेंगे। अंततः  यह समाज के कमजोर वर्गों को उत्थान की ओर ले जाता है।


7. संचार


शिक्षा और संचार के बीच संबंध स्पष्ट है। अच्छी शिक्षा अन्य लोगों के साथ बेहतर संवाद करने में मदद करती है। शिक्षित व्यक्ति के पास प्रभावी सम्प्रेषण कला होती है। यह आत्मविश्वासी होता है यह उसके संवाद कौशल से पता चल जाता है। आजकल की आधुनिक संचार माध्यम जैसे ई-मेल, संदेश टाइपिंग, पत्रिकाएं और समाचार पत्र पढ़ना या यहां तक कि स्मार्टफोन का उपयोग करना बुनियादी शिक्षा प्राप्त किए बिना कभी भी संभव नहीं हो सकता है।


8.समाज में शिक्षा की भूमिका

Shiksha Ka Mahatva | Bhumika


शिक्षा वह महत्वपूर्ण कारक है जिसके माध्यम से समाज अपने सदस्यों को महत्वपूर्ण ज्ञान प्रदान करता है, जिसमें मूल तथ्य, नौकरी, कौशल, और सांस्कृतिक मानदंड शामिल हैं।

शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह व्यक्तिगत जीवन को बेहतर बनाता है, अपने परिवार और समाज को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। शिक्षा प्रदान करके गरीबी दूर की जा सकती है और प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्रहित में काम कर अपना योगदान दे सकता है।


  • शिक्षा एक बेहतर समाज के स्थापना में मदद करती है।


एक शिक्षित व्यक्ति अनपढ़ व्यक्ति की तुलना में बेहतर नैतिक मूल्यों को विकसित करने की अधिक संभावना रखता है। शिक्षा का अभाव विभिन्न सामाजिक बुराइयों यथा अंधविश्वास, घरेलू हिंसा, खराब स्वास्थ्य और निम्न जीवन स्तर को जन्म देता है। शिक्षा पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए समान अवसर लाती है और शिक्षित लोग एक बेहतर समाज का निर्माण करने में सक्षम होते है। एक अच्छी शिक्षा के बिना, एक अच्छे समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता है।


  • शिक्षा समाज का रीढ़ है।


शिक्षा मानव समाज का अभिन्न अंग है। जीवन में इसके शिक्षा के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि शिक्षा की कमी से कई सामाजिक समस्याएं पैदा होती हैं, जैसे कि असामाजिक प्रवृतियाँ, आंतरिक संघर्ष, निम्न जीवन स्तर, सद्भाव और प्रेम की कमी इत्यादि। यह लोगों को उनकी समस्याओं के बेहतर समाधान खोजने में मदद करता है। शिक्षा लोगों को समाज में सार्थक योगदान देने के लायक बनाती है।


  • शिक्षा नवाचार और रचनात्मकता को बल मिलता है।


शिक्षा से ही  नवाचार और रचनात्मकता सम्भव है। इससे सामाजिक उत्थान के साथ-साथ रोजगार भी मिलता है और आर्थिक तरक्की भी होती है। शिक्षित लोग हमेशा बेहतर तकनीकों की सहायता से अपनी समस्याओं का समाधान खोजते हैं।


  • शिक्षा से मानव जीवन बेहतर हो सकता है।


शिक्षा सबसे उचित साधन है जिसका उपयोग हम दुनिया के परिप्रेक्ष्य को बदलने के लिए कर सकते हैं। एक शिक्षित व्यक्ति में विभिन्न प्रकार की समस्याओं से निपटने की क्षमता आ जाती है। सही शिक्षा के माध्यम से, एक व्यक्ति अच्छे नैतिक मूल्यों को विकसित कर सकता है। यह हमें एक अच्छा इंसान बनने में मदद करता है। कहा जाता है "शिक्षा के बिना आदमी पशु के समान होता है।" इसलिए शिक्षा के महत्व को इनकार नहीं किया जा सकता है।


अधिकांश जानकारी लिखित रूप में सूचित की जाती है। एक आदमी जिसके पास पढ़ने की क्षमता है उसे साक्षर कहा जाता है।


वह किताबें, अखबार, संकेत और प्रतीक पढ़ सकते हैं। यह दुकानों, बस, ट्रेन और हवाई स्टेशनों पर सड़क पर लगे साइनबोर्ड को पढ़ने में भी मदद करता है। यह उनकी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों जैसे बैंकिंग, खरीदारी, पैसे के लेनदेन और कई अन्य कार्यों में भी उनकी मदद करता है।

प्राथमिक शिक्षा के बिना, उपरोक्त सभी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है।


  • जिम्मेदारियों को समझना


एक सामाजिक प्राणी के रूप में, यह हमारी जिम्मेदारी है कि समाज से हमने बहुत लिया है तो हमें समाज को कुछ वापस देना भी चाहिए ताकि इसे अगली पीढ़ी के लिए एक बेहतर जगह बना सकें। एक अनपढ़ व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों के बारे में पूरी तरह से जागरूक नहीं होता है। एक शिक्षित व्यक्ति व्यक्तिगत जिम्मेदारियों के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारियों के बारे में जानता है। उचित शिक्षा एक व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत हितों से परे सोचने के लिए सिखाती है और उसे समाज को कुछ वापस देने की क्षमता भी देती है। शिक्षा के बिना यह दुनिया एक बेहतर जगह नहीं बन सकती। इसीलिए इस दुनिया को एक बेहतर जगह में बदलने के लिए उचित शिक्षा की आवश्यकता है। 


इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि किसी राष्ट्र  के विकास के लिए, शिक्षा की कितनी आवश्यकता है।


यहाँ पर हमने 'शिक्षा का महत्व' और 'शिक्षा की भूमिका' (Shiksha Ki Bhumika) के बारे बताने का भरपूर प्रयास किया है, आशा करता हूँ इस लेख को पढ़ने के बाद 'शिक्षा का महत्व' (Shiksha Ka Mahatva) समझ पाये होंगे।


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